हिरण्यगर्भ ब्रह्माणी मार्ग भगवान हरिहर, महामृत्युञ्जय मंत्र, नाभि लिंग, परा प्रकृति लिंग, आदिशक्ति लिंग, शिखर लिंग, हरिहर लिंग, विष्णु ही शिव, शिव ही विष्णु, हरि ही हर, हर ही हरि, लिंग का अर्थ, शिवत्व ही विष्णुत्व, विष्णुत्व ही शिवत्व
हिरण्यगर्भ ब्रह्माणी मार्ग भगवान् राम, राम नाद, शिव तारक मंत्र, राम का शब्द, योग मार्ग के राम, शिव का तारक मंत्र, यौगिक राम, योग काशी, योगमार्ग की काशी, योग मार्ग का प्रयागराज, योग प्रयागराज, रकार मार्ग, मोक्ष नाद, मोक्ष का शब्द, सहस्रार चक्र की परिभाषा
हिरण्यगर्भ ब्रह्माणी मार्ग शिव शक्ति योग, शक्ति शिव योग, शिव ही शक्ति है, शक्ति ही शिव है, पुरुष प्रकृति योग, प्रकृति पुरुष योग, भद्र भद्री योग, भद्री भद्र योग, समंतभद्र समंतभद्री योग, मनोमय कोष प्राणमय कोष योग, रामयान, तारकयान
हिरण्यगर्भ ब्रह्माणी मार्ग विष्णुत्व, अर्द्धनारी, अर्द्धनारीश्वर, अर्धनारी, अर्धनारीश्वर, सगुण आत्मा, विष्णु स्वरूप, अर्द्धनारी योग, अर्द्धनारीश्वर योग, श्री विष्णु, नैन कमल में अर्द्धनारी, सहस्रार में अर्द्धनारी, अर्द्धनारी शरीर, अर्द्धनारीश्वर शरीर, गौरीशंकर, उमा महेश्वर, उमाशंकर
हिरण्यगर्भ ब्रह्माणी मार्ग योग अश्वमेध, आंतरिक अश्वमेध, वज्रदण्ड, निरालम्बस्थान, निरालम्ब चक्र, ब्रह्म चक्र, निराधार चक्र, निराधारस्थान, अष्टम चक्र, वज्रदण्ड चक्र, त्रिशंकु, अष्टवसु सिद्धि, द्वादश आदित्य सिद्धि, एकादश रुद्र सिद्धि, इंद्र सिद्धि, प्रजापति सिद्धि
हिरण्यगर्भ ब्रह्माणी मार्ग अथर्ववेद 10.2.31, हिरण्यगर्भ ब्रह्माणी योग, बुद्धत्व, बुद्धता, बुद्ध, ब्रह्माणी सरस्वती, ब्रह्माणी विद्या, ब्रह्माणी विद्या सरस्वती, रामलला, आत्मा राम, खकार, डकार, हिरण्यगर्भ ब्रह्माणी शरीर, हिरण्यगर्भ शरीर, ब्रह्माणी शरीर, स्वर्णिम आत्मा, हिरण्यमय आत्मा, मस्तिष्क में ब्रह्म, ब्रह्मरंध्र में ब्रह्म, सहस्रार में ब्रह्म
हिरण्यगर्भ ब्रह्माणी मार्ग वासुकी नाग, श्श्श नाद, नागराज, नाग सम्राट, शिव के कण्ठ् का नाग, सर्पराज, योग वासुकी, योग आदिशेष, शिव पंचाक्षर मंत्र, शिव षडक्षर मंत्र, शिव अष्टाक्षर मंत्र, ॐ नमः शिवाय, शिव षडक्षर स्तोत्रम्, क्षीर सागर, अत्यन्तिकाप्रलय, ब्रह्माण्ड प्रदक्षिणा, ब्रह्माण्ड परिक्रमा
हिरण्यगर्भ ब्रह्माणी मार्ग मंदिर कलश, गरुड, खड्ग, त्रिशूल, विष्णु लिंग, अमृत कलश, ब्रह्मदण्ड, त्रिदण्ड, धर्मदण्ड, देवदण्ड, नंदका, रत्न मारू, सुमेरु, खण्डा, उडुम्बरा, चक्रधर, पुष्पक विमान, महासिद्ध, देवदत्त अश्व, माथे का सर्प, विराट कृष्ण, वज्रास्त्र, भारत की सौ नदीयाँ, सौ बुद्ध, फ़रवहर, मूषक, मयूर, हंस, तैंतीस कोटि देवता,
हिरण्यगर्भ ब्रह्माणी मार्ग समाधि, शून्य, शून्य ब्रह्म, शून्यता, शून्य अनंत, अनंत शून्य, मूल प्रकृति, बिंदु शून्य, जड़ समाधि, ब्रह्माण्डीय ऊर्जा, महातम्, महातमस, शून्य समाधि, असंप्रज्ञात समाधि, निर्बीज समाधि, महाशून्य, निर्विकल्प समाधि, निर्विकल्प ब्रह्म, निर्बीज ब्रह्म, संप्रज्ञात समाधि
हिरण्यगर्भ ब्रह्माणी मार्ग हिरण्यगर्भात्मक लिंग चतुष्टय, चतुर्लिंगात्मक हिरण्यगर्भ, हिरण्यगर्भात्मक चतुर्लिंग, तारक लिंग, खखोल्क लिंग, महाकालेश्वर, हृदय लिंग, आकाश लिंग, कुण्डलिनी लिंग, मूल लिंग, आधार लिंग, पाताल लिंग, शंख, गदा, कमल, अरुण स्तम्भ, गरुड़ स्तम्भ, खखोलक मंत्र, शब्द ब्रह्म, लघु ब्रह्मास्त्र, निर्वाणधातु